1. अंत का आरम्भ।
“जिंदगी एक सफर है सुहाना!
यहां कल क्या हो, किसने जाना!”
बकौल शायर:
“इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या
आगे आगे देखिए होता है क्या!”
दिन: 9 मार्च, 2020
स्थान: वुर्म्लिंगेन, जर्मनी
होटल का कमरा बंद कर मैं बाहर आ गया!
मिस्टर मार्टिन प्रतिदिन की तरह मुझे दरवाजे पर लेने आने ही वाले होंगे!
घडी में देखा, सुबह के 8.45.
सामने से आती रश्मि रेम्भोत्कर को देख कर तसल्ली हुई!
“हेल्लो, सर आप अभी आये क्या?”
“बस अभी।”
रश्मि की सदा बहार मुस्कुराहट को देख कर वैसे भी सुकून मिल जाता है!
जब वो काम से घबराती है तो ज्यादा मुस्कुराती है!
जर्मनी की वो सुबह एक सामान्य सुबह थी मेरे जीवन में!
खुशनुमा, ताज़ा!
प्रभा की तरह!
मार्टिन आये! वाईस प्रेसेडेंट फ़िनांस!
बीएमडब्ल्यू का स्वचालित दरवाजा खुला!
मैं हमेशा की तरह हाथ से बंद करने लगा!
रश्मि और मार्टिन प्रतिदिन की तरह मुस्कुराये!
मैं बाहर देखने लगा!
मैने मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचा, “ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बारह साल काम किया है,
कब रुचि लूंगा ऑटोमोबाइल में!”
मार्टिन ने पूछा “भारत में सभी मास्क लगा रहे हैं क्या तुम दोनो की तरह?”
हमें पता था वो हमारा मज़ाक उड़ा रहे हैं!
अब रश्मि भी बाहर देखने लगी!
जर्मन भू दृश्य रमणीय था!
काली मिट्टी की रंगत लिए हुए छोटे छोटे पहाड़ और इनपर गहरे हरे रंग के वृक्षों की चादर।
सारा दिन कम्पनी में सालाना बजट बनाते गुज़र गया! रश्मि ने सदा की तरह मुझे कुछ नहीं करने दिया!
“सर आप बस बताते रहो!” वो एक्सेल वर्कशीट पर काम करती रही!
मै सोचता रहा! पुणे, दिल्ली, घर, बच्चे, प्रभा!
16 मार्च को पुणे, 17 मार्च को बच्चो की परीक्षा समाप्त और बस 18 मार्च को प्रभा दिल्ली से पुणे आ जाएगी! और फिर 25 मार्च 2020 को हम दोनो वापिस दिल्ली।
फिर एक हफ्ते की छुट्टी!
यही तो होना है।
कौन सी आफत आनी है!
पर आनी तो थी ही, बस मैं जानता नहीं था!
(45 confirmed cases for COVID 19 in India. Ref: The Hindu Net Desk, 9 March, 2020)
दिन: 14 मार्च की सुबह!
वही स्थान: वुर्म्लिंगेन, जर्मनी
बहुत सुबह 5 बजे!
पुणे ऑफिस के यात्रा विभाग से फोन!
“सर, आपकी कल की फ्लाइट कैंसल हो गई है! कोरोना की वजह से बहुत सारी फ्लाइट कैंसल हो रही हैं! आप कहें तो आपकी फ्लाइट आज की करा दें? वो भी कनेक्टिंग मिलेगी! ज्यूरिख से ओमान, वहां से मुंबई!”
मैं रश्मि के कमरे की तरफ भागा!
उसने आंखें मलते हुए दरवाजा खोला!
“सर इतनी सुबह?”
मैने समस्या बताई, समाधान भी!
वो घबरा गई! बोली “ओमान?”
मैने कहा, “अभी सोचो मत! समान बांधो!”
मैने फ्लाइट कन्फर्म की!
मिस्टर मार्टिन को फोन लगाया!
समस्या सुनकर वह बोले, “आप दोनो जाने की तैयारी कीजिए, मैं एयरपोर्ट के लिए कार भेजता हूं!”
रश्मि बहुत घबरा गई थी!
पहली बार बिना काम के दबाव के!
फेस मास्क, फेस शील्ड, रबर ग्लव्स!
हम दोनो जुरीख एयरपोर्ट पर सबसे अलग लग रहे थे!
जुरिख एयरपोर्ट स्विट्जरलैंड में था पर जर्मन ऑफिस से पास पड़ता था। ऑफिस से एयरपोर्ट का कार से केवल दो घंटे का रास्ता था।
एयरपोर्ट पर पहुंच कर पहली बार मैंने देखा कि स्विट्जरलैंड का यह अत्यंत व्यस्त रहने वाला एयरपोर्ट कभी इतना वीरान भी हो सकता है?
परंतु यह अति विशेष परिस्थिति थी।
कोरोनावायरस तेजी से पूरे विश्व में फैल रहा था।
लगभग पूरे विश्व के विमान अब अपने हैंगर्स में ही रहने वाले थे।
उस दिन शायद वो अंतिम उड़ान थी इस देश के बाहर जाने वाली!
कायदे से मुझे डर लगना चाहिए था।
पर मुझे डर नहीं लगा!
यह ओमान एयर की फ्लाइट थी।
ओमान एयर मैने पहली बार देखी थी!
विमान के अंदर मिला हिंदुस्तानी शुद्ध शाकाहारी भोजन आनंददायक था!
ओमान एयरपोर्ट से पहले ओमान का विशाल रेगिस्तान!
समुद्र किनारे एयरपोर्ट था!
मैं पहली बार किसी अरब देश में उतरा था!
रोमांचित था, सदा की तरह!
नया देश देख कर मुझे आनंद आता था!
उतरकर लगा शायद इससे अधिक वीरान और रेगिस्ताने में कोई और एयरपोर्ट नही हो सकता!
तेज चमकीली धूप शीशे की दीवारों से आ रही थी!
परंतु हमें पता था कि यह साधारण परिस्थिति नही है। हमारा उद्देश्य जल्दी से जल्दी भारत पहुंचाना था। समय बहुत धीरे चलता महसूस हो रहा था। हमें लग रहा था पता नही कब मुंबई पहुंचेंगे!
ओमान से मुंबई की फ्लाइट एक दुस्वप्न की तरह निकली!
कहीं छूना नही था! बाथरूम जाना हम दोनो ने सिरे से खारिज कर दिया था!
वायरस का डर था!
जैसे ही हम मुंबई में विमान से बाहर आए, रश्मि के पीछे आ रही एक बुर्के वाली महिला ने जोर से छींका!
रश्मि से रहा नही गया! वो बहुत तनाव में थी!
चिल्लाकर बोली, “अक्ल नहीं है क्या?”
मैं रश्मि को खींचता हुआ चेक आउट तक ले गया! एयरपोर्ट पर पहली बार टेंपरेचर गन का प्रयोग हो रहा था। कोरोनावायरस का एक खास लक्षण था बढ़ा हुआ शारीरिक तापमान। इस गन के माध्यम से बाहर से आने वाले सभी यात्रियों का एक एक करके शारीरिक तापमान नापा जा रहा था। जिस यात्री का तापमान बढ़ा हुआ मिलता उसे अगली वायरस जांच के लिए अलग विभाग में ले जाया जाता था।
मेरा और रश्मि का टेंपरेचर सामान्य निकला।
हम मुंबई एयरपोर्ट से बाहर निकल कर ऑफिस की कार में बैठ गए जो हमें अपने घर पुणे ले जाने वाली थी।
अभी कार रास्ते में लोनावाला तक पहुंची ही थी कि ऑफिस से प्रबंधक का फोन आ गया!
“सर दो हफ्ते का क्वारेंटाइन रहेगा आप दोनो का!”
रश्मि सुन कर भड़क गई!
बोली, “सर मैं अपने बेटे के पास नही जाऊंगी घर पर तो कहां जाऊंगी?”
वो ज़ोर से रोने लगी!
मैने डायरेक्टर को फोन किया!
मैने उनसे रश्मि के पास के सबसे अच्छे होटल में रहने की स्वीकृति ली!
पर रश्मि के आंसू बहते रहे!
रश्मि को उसके घर के पास के होटल में छोड़कर मैं अपने फ्लैट में पहुंचा।
पुणे के फ्लैट में मैं तो अकेला ही रहता था!
सामान रखा, सो गया!
दो दिन के बाद प्रभा आ जायेगी! एक हफ्ते यहां हम दोनो रहेंगे! फिर एक हफ्ते की छुट्टी लेकर दिल्ली में मां और दोनो बच्चों के साथ रहूंगा!
चैन की नींद आई!
जेट लेग नहीं था मुझे।